Bhartiye Dand Sanhita by S N Mishra Central Law Agency (A Law Book)

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(NATURE AND DEFINITION OF CRIME) भूमिका-यह सत्य है कि समाज में अपराध एवं अपराधी दोनों ही घृणा की दृष्टि से देखे जाते हैं परन्तु यह भी सत्य है कि आपराधिक विधि का अध्ययन एवं शोध मानव सभ्यता के आदि से ही विधिशास्त्र की आकर्षक शाखा रहा है। आपराधिक विधि वास्तव में उतनी ही पुरानी है जितनी की सभ्यता । जब कहीं और जहां कहीं भी लोगों ने अपने को संगठित किया वहाँ पर संगठन के सदस्यों के आपसी सम्बन्धों को विनियमित करने हेतु कुछ नियमों की आवश्यकता महसूस की गयी और जहाँ कहीं सामाजिक नियम थे उनका व्यतिक्रमण अवश्यम्भावी था। यहीं पर सामाजिक नियमों को भंग करने वाली प्रवृत्तियों को रोकने के लिये कुछ रास्ते एवं उपायों की आवश्यकता महसूस होती है। प्रत्येक संगठित समाज में कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें लोग दण्ड के भय से नहीं करते हैं। जहाँ एक व्यक्ति ने किसी दूसरे व्यक्ति को क्षति पहुँचायी हो तथा क्षति की पूर्ति यथायोग्य धन द्वारा की जा सकती हो, वहाँ पर दोषकर्ता उस व्यक्ति को जिसे कि क्षति पहुँचायी गयी है, क्षतिपूर्ति या प्रतिकर देने के लिये बाध्य किया जाता था परन्तु कुछ मामलों में क्षतिपूर्ति या प्रतिकर के अतिरिक्त दोषकर्ता पर राज्य द्वारा दण्ड भी लगाया जाता था, जिसका उद्देश्य समाज में शान्ति व्यवस्था तथा एक दूसरे के प्रति एवं समस्त समुदाय के प्रति सद्व्यवहार का सम्वर्धन था।

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